shweta soni

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वो डरावने सपने...( भाग - 4 ) ्

रात का समय और सब एक साथ खाना खाते हुए ।  

मधु जी - आज घर बहुत अच्छा लग रहा है , पिछले कुछ दिनों से घर में एक अजीब सी खामोशी थी , लेकिन प्रशांत तुम्हारे आने से घर भरा - भरा लग रहा है बेटा । प्रशांत - इतनी तारीफ के लिए बहुत -बहुत शुक्रिया मां !  उसने जीभ को दांतो के बीच हल्का सा दबा कर कहा! जैसे उसने कुछ गलत कह दिया हो!  क्या मैं आपको मां बुला सकता हूं ? मधु - हां - हां बेटा जरूर बुला सकते हो | वैसे मां खाना तो आपने बहुत ही बढ़िया बनाया है!  मजा आ गया!  वाह!  और ये पनीर कि सब्जी तो इतनी अच्छी बनी है , पेट भर गया लेकिन मन नहीं भरा है | 

पनीर कि सब्जी मैंने नहीं सोनाली ने बनाई है!  सोनाली कि मां ने कहा जिसे सुनकर प्रशांत झेंप गया और सोनाली शरमा गयी । सोनाली को शरमाता और प्रशांत को देखकर मधु और शंकुतला देवी कि अनुभवी आँखे सब समझ गयी । अच्छा दादी जी अब मैं चलता हूं । बहुत देर हो गयी है ।  शकुंतला देवी - ठीक है बेटा लेकिन कल समय से आ जाना!  कल पंडित जी आ रहे है तुम्हें तो पता है ना उन्होनें क्या कहा था । 
तो समय से आ जाना । प्रशांत - जी दादी जी ! सोनाली बेटा जा प्रशांत को बाहर तक छोड़ के आना ।

सोनाली - जी दादी ! दोनों बाहर कि तरफ जाते हैं । प्रशांत -सच में सब्जी बहुत टेस्टी बनी थी | मुझे नहीं पता था कि तुम्हें खाना बनाना भी आता है ! 
सोमाली मुस्कुराते हुए - अब बस भी करो मि. फेंकू और कितना फेंकोगे ‌। प्रशांत - अरे मैं फेक नई रहा सच बोल रहा हूँ । हां जैसे मैं तुम्हें जानती नहीं क्यूं ! सोनाली ने मजाक किया | तो प्रशांत ने भी मुहँ फुलाने का नाटक किया । जिसे देखकर सोनाली हंसने लगी ।

इधर ये दोनों हंसी मजाक कर रहे थे , उधर सोनाली की मां खिड़की से सब कुछ देख रही थी | प्रशांत उन्हें सोनाली के भावी जीवनसाथी के रूप में दिखाई देने लगा था । 

" क्या देख रही हो बहू ! " मधु कि सास ने पूछा ! मां जी आपने गौर किया  सोनाली जब प्रशांत के साथ होती हैं तो कितनी खुश होती है | 
शंकुतला देवी - हां मुझे भी ऐसा ही लगता है । लेकिन अपनी राय बनाने से पहले हमें दोनों से बात करनी पड़ेगी । वो भी  सही समय आने पर , तब तक के लिए हमें चुप रहना होगा  समझी तुम ! " जी मां जी मधु ने कहा " !

प्रशांत - ओके मैं अब चलता हूं रात भी बहुत हो गयी है । जाओ तुम भी आराम करो ।  सोनाली -  हम्म् गुडनाईट ! कल मिलते है । बॉय ...और सोनाली घर के अंदर आ जाती है । इधर प्रशांत भी चला जाता है ।

लेकिन दोनों इस बात से बेखबर कि उन्हें कोई जलती आँखो से देख रहा है!!!

प्रशांत अपनी कार मिडियम स्पीड में चलाते जा रहा है और साथ में एक प्यारा सा गाना भी सुन रहा है | 

तभी उसे एक काला साया तेजी से अपनी ओर आता दिखाई देता है ! वो उसे ध्यान से देखने कोशिश करता है लेकिन उसे सिर्फ एक काला साया दिखाई देता है । उससे बचने के लिए वो कार को बाईं ओर घुमाता है , जिससे उसकी कार एक पेड़ से टकरा जाती है और प्रशांत को चोट लग जाती है , चोट लगने से सर से खून बहने लगा था ।  उसने जेब से रूमाल निकाल कर चोट में लगाया । जिससे खून ज्यादा ना बहे । 

प्रशांत ने कार का दरवाजा खोला और अपने दायें - बायें देखने लगा । लेकिन वहां प्रशांत के अलावा कोई नहीं होता | तभी प्रशांत के कान में आवाज आती है!!! वो मेरी है, उससे दूर रहो... ये आवाज सुनकर उसे पंडित जी कि बात याद आती है जब उन्होनें कहा था कि " सोनाली पर किसी प्रेत का साया है और वो उस हर व्यक्ति को नुकसान पहुंचायेगा जो सोनाली के करीब जाने कि कोशिश भी करेगा । " तभी वो काला साया तेजी से प्रशांत कि ओर बढ़ता है , लेकिन जैसे ही वो साया प्रशांत के करीब पहुंचता उसे जोर का झटका लगा और वो साया प्रशांत से दूर चला गया | 

प्रशांत ने अपने गले में पहनी हुई तावीज को शर्ट के बाहर निकल आई थी , जिसे पुरोहित जी ने प्रशांत को आत्मरक्षा के लिए दिया था । 

प्रशांत के गले में ताबीज देखकर वो साया वहां से गायब हो जाता है ।

इधर सोनाली अपने बैड में आराम से सो रही है ।शायद आज उसे वो "डरावने सपने "नहीं आयेंगे  ।  लेकिन ये शायद सोनाली का भ्रम ही है क्योंकि आज ही वो अपने अतीत से रूबरू होने वाली थी ।

मधु जी अपनी सास से - मां जी आपने सोना के तकिये के नीचे वो विशेष सामग्री रख दी है ना जो पंडित जी ने दी थी । 
शंकुतला देवी - हां रख दी है ! पंडित जी ने कहा था कि उसे सोना के तकिये के नीचे रखने से उसे वो "डरावने सपने "नहीं आयेगें । लेकिन सोना को अपने उस अतीत से जरूर रूबरू करवायेगी जिससे उसकी जिंदगी में इतना सब कुछ हो रहा है । यही कहा था पंडित जी ने ! तुम माता रानी से प्रार्थना करना कि सब अच्छा हो !!!अब जाओ जाकर सो जाओ कल सुबह जल्दी उठना भी है | मधु - जी मांजी आप भी सो जाइये रात काफी हो गई है । ये बोल कर सोनाली कि मां सोने चली गई | 

लेकिन शंकुतला देवी कि आंखों में नींद नहीं थी | बल्कि उन्हें बैचेनी लग रही थी , जैसे कुछ बुरा होने वाला हो ! 


सोनाली गहरी नींद में सो रही है और सोते हुए मुस्कुरा रही हैं ! वो एक सपना देख रही है जिसमें एक छोटी सी बच्ची जिसकी उम्र पांच साल कि होगी !सोनाली का हाथ पकड़ कर कहीं ले जा रही है , सोनाली चुपचाप उसके साथ चल रही थी , जैसे कोई दिव्य शक्ति हो उसके पास ।  चलते - चलते वो अपने आस पास पेड़ पौधों को देख रही थी वो , इतने भयानक जंगल ! यहां तो जंगली जानवरों कि पूरी फौज होगी ! यही सोच रही थी सोनाली ! तभी उसे थोड़ी दूर में कुछ कच्चे मकान दिखाई दिखाई दिये | यहां कौन रहता होगा भयानक जंगलो के बीचों बीच बने मकानों में ? वो अपने आप से पूछ रही थी । 

तुम रहती थी ....। उस प्यारी सी बच्ची ने कहा ! चौंक गई थी सोनाली ये सुन कर कि इस जगह में वो खुद रहती थी ....।
                                       

                                       क्रमशः 

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6 Comments

Khan

03-Aug-2022 04:59 PM

Nice

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Saba Rahman

03-Aug-2022 11:44 AM

Nice

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Chudhary

02-Aug-2022 09:28 PM

😊😊😊

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